डॉक्टर की लापरवाही पर आपके मरीज की मौत होने पर आप पछताने के अलावा कुछ नही करते हैं, लेकिन सही कानूनी सलाह मिल जाये तो आप भी ऐसे लापरवाह डॉक्टर को सबक सिखा सकते हैं। मामला है ऐसी ही कानूनी जंग जितने वाले कानून के सिपाही दीपक यादव का। जो स्वयं झांसी रोड थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी रहे। उनके द्वारा अधिवक्ता मनोज उपाध्याय के माध्यम से वर्ष 2018 में फोरम के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की थी कि उनकी पत्नी रेनू यादव के सीने में गठान के इलाज के लिए महेश्वरी नर्सिंग होम के डॉक्टर वीके महेश्वरी के पास इलाज कराने पहुंची। वीके माहेश्वरी द्वारा चीरा लगाकर गठान निकालने के लिए उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया ओर बिना उनकी सहमति जनरल एनएसथीसिया देकर उन्हें बेहोश किया। सर्जरी होने के बाद रोगी को जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया जहां रोगी को उल्टी आई और श्वास नली में चली गई जिससे रोगी की उपचार के दौरान महेश्वरी नर्सिंग होम में मृत्यु हो गई थी। इस मामले में न्यायालय ने पाया कि महेश्वरी नर्सिंग होम में लापरवाही का ये आलम रहा कि मिसी जोसेफ नाम की महिला पिछले 18 वर्षों से मात्र 12वीं पास की योग्यता के आधार पर ऑपरेशन थिएटर में असिस्टेंट का कार्य कर रही थी, और डॉ कपिल अग्रवाल भी बिना एमसीआई पंजीयन अवैधानिक रूप से चिकित्सकीय कार्य कर रहे थे। मरीज को जब उल्टी आई उस समय कोई योग्य चिकित्सक वार्ड में मौजूद नहीं था।