डबरा: अस्पताल पूरा दम तोड़ चुका है, यह दुसरो को क्या करेंगा जिन्दा?

Bulletin 2020-03-17

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चारों तरफ गंदगी का भंडार, डस्टबिन की जगह से डस्टबिन नदारद, बंद और चौक पड़े लाखो की लागत से बने शौचालय वार्ड से अन्य स्थान पर शौच जाने को मजबूर प्रसूताएं, मरीजों को लाने-ले जाने के लिए इस्ट्रेचर नहीं, मजबूरी में चादर को बनाना पड़ता है इस्ट्रेचर, धूल खाती लाखो की लागत की मशीनें, अधिकारियों और नेताओं के आदेश बेअसर, यह सब साबित हो रहा है दम तोड़ रहे डबरा के सिविल हॉस्पिटल में। जहां दम तोड़ रहें इस हॉस्पिटल में मरीज बेहाल है। वहीं पर यदि बात की जाए तो डबरा अनुभाग जिले के बड़े अनुभाग में शुमार हैं। वहीं यहां आसपास रहने वाले लोगों की 10 लाख की जनसंख्या भी इसी डबरा सिविल अस्पताल पर निर्भर हैं, लेकिन इलाज के अभाव में उन्हें मजबूरी बस ग्वालियर जाना पड़ता है। आमजन स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए डबरा के सिविल हॉस्पिटल आते हैं। वहीं सिविल हॉस्पिटल का नजारा देख कई बार तो लगता है कि मरीज यहां इलाज लेने नहीं बल्कि बीमारी लेने आते हैं होंगे। हॉस्पिटल में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है। वहीं पर जो शौचालय हैं, वह बंद पड़े हुए हैं। कई बार स्थानीय विधायक व पूर्व महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी सुमन ने डबरा अस्पताल को लेकर ग्वालियर कलेक्टर के साथ निरीक्षण कर व्यवस्थाएं सुधारने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया था। लेकिन उसके बाद भी डबरा सिविल हॉस्पिटल में अव्यवस्थाओं के हालात जस के तस बने हुए, कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि यह अस्पताल अब दम तोड़ चुका है। वह दूसरे को क्या जिंदा करें।

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