शरीर यन्त्र है, तुम नहीं || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

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वीडियो जानकारी:
संवाद सत्संग, २७ फरवरी २०१३, बी.बी.एस.सी.ई.टी., इलाहबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

प्रसंग:
~ क्या हम देह से हटकर कुछ और हो सकते हैं?
~ देह से अलग होकर व्यवहार कैसे करें?
~ कबीर जी ने ऐसा क्यों कहा है कि - "देह धरे का दंड है, हर काहू को होय। ज्ञानी काटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।"?

संगीत: मिलिंद दाते

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