मुक्ति व बंधन दोनों ही में रहने के लिए मुक्त है मनुष्य || आचार्य प्रशांत (2015)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१६ अगस्त, २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
मुक्ति क्या है?
मनुष्य में ही मुक्ति की चाह क्यों उठती है?
क्या मुक्ति साधना कर के ही मिल पाये गी?
मुक्ति क्यों आवश्यक है?
मन कैसे जाने की मुक्ति क्या है?
क्या मन पर चलने को मुक्ति कहा जाता है?
मुक्ति क्या है?
मुक्ति ज़रुरी क्यों है ?
क्या हम वास्तव में मुक्त है?
बंधन क्या है?
बंधनों को पहचानने में चूक कहाँ होती है?
बंधन हमें अच्छे क्यों लगने लगते हैं?
क्या हम बंधन को बंधन की तरह देख पाने में सक्षम हैं?

संगीत: मिलिंद दाते

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