धैर्य से माँगोगे, सहज मिलेगा || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2015)

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वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
१ नवम्बर २०१५
ए. आई. टी, कानपुर

दोहा:
जो कुछ आवे सहज में,
सो मीठा जान I
कडुआ लागे नीम सा,
जा में खींचा-तान

प्रसंग:
ध्यान और सहजता में क्या भेद है?
सहजता का क्या अर्थ है?
न प्रयत्न न प्रार्थना, सहज मिले को क्या माँगना?
अपने अंदर धैर्य कैसे लाए?
हम सहज क्यों नहीं रह पाते?
"जो कुछ आवे सहज में, सो मीठा जान I कडुआ लागे नीम सा, जा में खींचा-तान"II इस दोहे में खींचा-तान का क्या अर्थ है?

संगीत: मिलिंद दाते

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