श्रीत्रिविक्रम भक्तिभाव चैतन्य का सहज, सुंदर और उत्स्फूर्त आविष्कार Trivikram Devotional Sentience

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स्वयंभगवान श्रीत्रिविक्रम के सार्वभौम मंत्रगजर के कारण हमारे मन में भक्तिभाव चैतन्य सहजता से प्रवाहित होता है। सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी ने हमें इस गजर के ताल पर डोलने के लिए कहा है। इस व्हिडियो में दिखायी देनेवाले इस बालक का सहज प्रतिसाद (Natural Reaction), यह उस मंत्रगजर के साथ डोलने का है। उसे डोलने के लिए कहा नहीं गया था। इसीसे यह स्पष्ट होता है कि बापू के कहेनुसार हर एक जीव की Natural Reaction ‘डोलना’ या ‘ताल देना’ यही होती है। इस बालक को देखकर हम यह सीख सकते हैं कि इस मंत्रगजर की सहायता से भक्तिभाव चैतन्य में किस तरह समरस होना है। इस बालक का मंत्रगजर के ताल पर डोलना यह श्रीत्रिविक्रम भक्तिभाव चैतन्य का सहज, सुंदर और उत्स्फूर्त ऐसा आविष्कार है।

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