वीडियो जानकारी:
२५ अप्रैल, २०१९
अद्वैत बोध स्थल,
ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
स्वाध्यायाद् इष्टदेवतासंप्रयोगः ॥ २.४४॥
भावार्थ: स्वाध्याय से ईष्ट देवता की भली-भाँति प्राप्ति हो जाती है।
~पतंजलि योग सूत्र, साधन पादद
योगसूत्र को कैसे समझें?
इष्ट देवता से क्या आशय है?
क्या इष्ट देवता वास्तविकता में होते हैं?
इष्ट का क्या अर्थ होता है?
मन का इष्ट कौन है?
मन की मूल कामना कौन सी है?
मिलिंद दाते