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शब्दयोग सत्संग
२० मई २०१३
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
उपनिषद पढ़ा नहीं जाता, उपनिषद हुआ जाता है।
~ आचार्य प्रशांत
ॐ केनेषितं पतति प्रेषितं मनः केन प्राणः प्रथमः प्रैति युक्तः ।
केनेषितां वाचमिमां वदन्ति चक्षुः श्रोत्रं क उ देवो युनक्ति ॥
(केनोपनिषद, अध्याय १, श्लोक १)
प्रसंग:
केन उपनिषद का क्या महत्त्व है?
अपने जीवन में उपनिषद की सुगंध कैसे उतरे?
उपनिषद को कैसे समझें?
उपनिषद पढ़ा नहीं जाता, उपनिषद हुआ जाता है इस वक्तव्य का क्या अर्थ है?
संगीत: मिलिंद दाते