क्षुद्रता को जितना बचाओगे उतना दुःख पाओगे || आचार्य प्रशांत (2017)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१४ जुलाई २०१७,
दा नानतिन कैम्प, नैनीताल

प्रसंग:
"क्षुद्रता को जितना बचाओगे उतना दुःख पाओगे" इसका क्या आशय है?
हमसब अपने आप से ही क्यों ऊबे रहते हैं?
अपने में बदलाव लाना कितना आवश्यक है?

संगीत: मिलिंद दाते

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