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शब्दयोग सत्संग
२६ फ़रवरी २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय-१६ सूत्र-२४)
तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि॥
प्रसंग:
असली कर्तव्य क्या है?
कर्तव्य का पालन कैसे करें?
उचित कर्तव्य क्या होना चाहिए?
उचित कर्तव्य करने का क्या लाभ है?