क्या साक्षी होने का अर्थ है विचारों को देखना? || आचार्य प्रशांत (2019)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, विश्रांति शिविर
४ अगस्त, २०१९
पुणे, महाराष्ट्र

प्रसंग:
साक्षी माने कौन?
क्या अपने विचारों को देखना साक्षित्व नहीं है?
क्या हर वक़्त साक्षी रहना संभव है?

संगीत: मिलिंद दाते

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