वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२२ अक्टूबर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
ॠद्धि सिद्धि माँगों नहीं, माँगों तुम पे येह |
निसि दिन दरशन साधु को, प्रभु कबीर को देह ||
काफ़ी:
इह अगन बिरोंह दी जारी,
कोई हमरी तपत निवारी,
बिन दरसन कैसे तरिये?
प्रसंग:
साधु की संगति का क्या लाभ है?
क्या साधु की संगति से हमारी दृष्टि बदलती है?
अगर ऐसा है तो साधु की संगति कैसे करी जाए?