आदि शंकराचार्य - प्रश्नोत्तर रत्न मालिका - भाग १ | Adi Shankaracharya Book Series | अर्था

Artha 2019-02-05

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आज के इस भाग में हम प्रश्नोत्तर रत्न मालिका का आरंभ कर रहे हैं। अपने जीवन के विविध प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए यह वीडियो

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१ प्रश्नोत्तर रत्न मालिका का पहला प्रारंभिक पद इस प्रकार है

कः खलु नालाक्रयत दृष्ट-अदृष्ट-अथ-साधन पटायान्

असूया कण्ठस्थितया प्रश्न - उत्तर - रत्नमालिका ।।

२ यहाँ आदि शंकराचार्य कहते है की

साधक को इस प्रश्नोत्तर रत्न मालिका को सिर्फ अपने पास नहीं रखना हैं, किंतु जीवन के दृश्य और अदृश्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसे एक तैयार संदर्भ के रूप में याद रखना चाहिए

३ इसके बाद प्रश्नोत्तर की श्रृंखला इस पद के साथ शुरू होती है

भगवान! किं उपादेयम्?

४ इस पद का अर्थ है

हे भगवान! कौन से उपदेश लेने चाहिए ?

५ इस प्रश्न के उत्तर में शंकराचार्य ने कहा;

गुरुवचनम्।

६ इस पद में शंकराचार्य भक्तों को यह सुझाव देते है की उन्हें अपने गुरु के उपदेशों का ध्यान रखना चाहिए

७ विविध विचारधारा से भरे हुए इस संसार में कोई भी सीधा सरल साधक भ्रमित हो सकता है। इसके बाद उसके सामने आनेवाला पहला प्रश्न यह होता है की उसे किसकी बात सुननी चाहिए

८ ऐसे साधक को उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, जिसे वह गुरु की शिक्षा को अपने दैनिक कार्यों और विचारों में लागू कर प्राप्त कर सकता है

९ आदि शंकराचार्य की प्रश्नोत्तर रत्न मालिका में जीवन से जुड़े ऐसे अधिक प्रश्नों और उनके उत्तरों को जानने के लिए देखिए हमारा अगला वीडियो

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