श्रावण मास भगवान शिवजी का प्रिय मास है। इस मास में पड़ने वाली शिवरात्रि का भी अपना विशेष महत्व है।शिवरात्रि में रात्रि के समय शिव पूजा विशेष फलदायी होती है।
श्रावण मास भगवान शिवजी की लिंग रूप से भगवान शंकर की उपासना का तात्पर्य यह है कि शिव, पुरुष लिंग रूप से इस प्रकृति रूपी संसार में स्थित हैं। यही सृष्टि की उत्पत्ति का मूल रूप है। त्रयम्बकं यजामहे शिव उपासना का वेद मंत्र है।