भागलपुर में तीन दिनों से चल रही कालीपूजा की धूम के बाद शनिवार को श्रद्धालुओं ने मां काली को भावभीनी विदाई दी। विसजर्न जुलूस में पूरा शहर उमड़ पड़ा। इतनी भीड़ थी कि सड़कों पर समा नहीं पा रही थी।
आंखों में आंसू, मां के जयकारे -पूरा माहौल भावुक बन गया था। महिलाएं ,बच्चे सड़क के दोनों और अपने छतों पर खड़े होकर और हाथ हिलाकर मां को विदाई दे रहे थे।
विसर्जन शोभा यात्रा में काली महारानी महानगर केंद्रीय महासमिति जुड़ी करीब 69 प्रतिमाएं जब कतार में चल रहीं थी तो नजारा देखने लायक था। हाथी, घोड़ा, अखाड़ों का प्रदर्शन, उत्साह से लबरेज युवाओं की फौज पराक्रम वाला द़श्य था।
रविवार दोपहर बाद मुशहरी घाट में प्रतिमाओं का विसर्जन शुरू होगा।
रात साढ़े नौ बजे के बीच बीएमपी, रैफ सहित अन्य बलों की कड़ी सुरक्षा के बीच प्राचीन काली मंदिर परबत्ती की प्रतिमा विसर्जन जुलूस में शामिल होने के निकली। लगभग दस साल बाद काली पूजा के अवसर पर विशाल जुलूस सड़कों पर नजर आया। आगे-आगे हाथी पर सवार कामेश्वर यादव, 50 से ज्यादा घोड़े, शस्त्रों से लैस वाहन। आतिशबाजी और शस्त्रों की कलाबाजी दिखाते युवा। युवाओं का उत्साह देखते ही बनता था। हर गली, हर सड़क से जय श्री राम, जय मां काली.., बमबम काली.. आदि के जयकारे भक्त नारे बुलंद करते हुए स्टेशन चौक पर पहुंचे। इसके बाद महासमिति से जुड़ी अन्य प्रतिमाएं एक के पीछे एक लगती गई। स्टेशन चौक पर महासमिति के सदस्यों, पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा समितियों का स्वागत किया गया। इसके बाद महासमिति के सदस्यों ने आरती की।