The risk of flooding in Allahabad

Hindustan Live 2018-02-08

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कछार में बाढ़ से डूबे हजारों घर डूब गए हैं। इन घरों में रहने वाले रिश्तेदार, दोस्त या राहत शिविरों में शरण लिए हैं। अब तक की बाढ़ में डूबे मकान अवैध रूप से बने हैं। प्रशासन ने आंखें मूंदी और कछार में हजारों मकान खड़े हो गए।

कछारी क्षेत्र की जमीन स्टेट लैंड मानी जाती है। स्टेटलैंड का मालिकाना हक प्रशासन के पास है। इस जमीन पर किसी तरह का निर्माण नहीं हो सकता लेकिन इलाहाबाद के कछार में उल्टा हुआ। कछारी या स्टेटलैंड पर धड़ल्ले से मकान बनते रहे और प्रशासन आंखें मूंदे रहा। गंगा में बाढ़ आने से पहले तक मकान बन रहे थे।

डीएम का निर्देश भूले
2013 में आई इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी बाढ़ के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी राजशेखर ने कछार में निर्माण पर कार्रवाई करने के लिए कहा था। सितंबर के पहले हफ्ते में बाढ़ का प्रकोप समाप्त होने के बाद कछारी क्षेत्र में निगरानी बढ़ी। कई निर्माणाधीन मकान गिराए गए। उसके बाद प्रशासन ने कछार से निगाहें फेरीं तो फिर निर्माण शुरू हो गया।

पांच रुपए के स्टाम्प पर बिकती है जमीन
पांच रुपए के स्टाम्प पेपर पर बिस्वा के हिसाब से कछार में जमीन बिकती रही। मकान बनते रहे और प्रशासन ने कुछ नहीं किया। अब तक की बाढ़ से कछारी क्षेत्र के ही हजारों परिवार बेघर हुए हैं। इन परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

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