हर एक मनुष्य के मन में रहने वाला भाव केवल वह संबंधित मनुष्य ही जानता है। सिर्फ़ तीन साल तक के बच्चे के मन का भाव उस बच्चे की माँ जान सकती है। भाव यह अन्त:करण से उठनेवाला तत्त्व है, भाव को बनाया नहीं जा सकता, भाव का अभिनय नहीं किया जा सकता, इस बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १६ अक्टूबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
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