प्रकृति के सबसे जरूरी कामगार, कीट-पतंगों से चलता है प्रकृति का कारोबार

ETVBHARAT 2025-11-27

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अगर किसी जगह के पर्यावरण की असली पहचान देखनी हो, तो वहां मौजूद छोटे-छोटे पतंगों को देखिए. रात के अंधेरे में फूलों से परागकण पीते ये पतंग, प्रकृति के सबसे शांत लेकिन सबसे जरूरी कामगार हैं. तितलियों से ज्यादा प्रजातियां होती हैं पतंगों की और इनके रंग भले ही हल्के हों, पर इनकी भूमिका बेहद गहरी है.

पतंगों की 15,000 किस्में हैं. अमरावती में 250 किस्में हैं. मेलघाट में 90 तरह की पतंगों की किस्में पाई गई हैं. पतंगे रोशनी की तरफ़ आकर्षित होते हैं. महाराष्ट्र में पतंगों पर ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है. 

पराकण, प्रजनन और पूरी खाद्य श्रृंखला को संतुलित रखने में पतंगों की बड़ी भूमिका है. कहते हैं जहां पतंगें ज्यादा, वहां पर्यावरण बेहतर... क्योंकि साफ हवा, कम प्रदूषण और जैव विविधता का अच्छा संतुलन इन पतंगों को खूब रास आता है. रात का पराकण… ये पतंगे ही संभालते हैं... रातरानी, मोगरा, चमेली जैसे फूलों पर निर्भर रहते हैं.

और कई जीव पक्षी, चमगादड़, मेंढक पतंगों पर ही निर्भर रहते हैं... यानी इनका होना मतलब पूरे इकोसिस्टम का जिंदा और स्वस्थ होना.

खेतों और जंगलों में पतंगों की सक्रियता बताती है कि मिट्टी और पौधे दोनों की सेहत अच्छी है.  

हालांकि  कृत्रिम रोशनी इनके लिए खतरा भी है. लाइट की ओर आकर्षित होकर कई पतंग अपनी जान गंवा देते हैं.

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