चेन्नई. सीमा शुल्क अधिकारियों ने बुधवार को चेन्नई एयरपोर्ट से 23.5 करोड़ रुपए मूल्य का हाइड्रोपोनिक गांजा जब्त कर इस संबंध में तीन लोगों को गिरफ्तार किया। यह प्रतिबंधित मादक पदार्थ थाईलैंड से लाया गया था, जिसे सॉफ्ट ड्रिंक पाउडर के पैकेट में छिपाया गया था। सूत्रों के अनुसार, हाइड्रोपोनिक गांजे को ओजी, शुगरकोन और कुश सहित विभिन्न नामों से जाना जाता है। सूत्रों ने कह तमिलनाडु तेजी से अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट के लिए एक प्रमुख पारगमन केंद्र बन गया है, जहां प्रतिबंधित पदार्थ जैसे मेथामफेटामाइन और इसके पूर्ववर्ती, स्यूडोएफेड्रिन की श्रीलंका, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में तस्करी की जा रही है, जहां इसकी मांग अधिक है।
ड्रग्स का एक बड़ा हिस्सा म्यांमार से आता है
2024 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने लगभग 380 करोड़ रुपए मूल्य की मेथामफेटामाइन जब्त की थी। खुफिया सूत्रों से पता चलता है कि ड्रग्स का एक बड़ा हिस्सा म्यांमार से आता है और श्रीलंका भेजा जाता है। 17 नवम्बर, 2024 को महानगर की पुलिस ने नाइजीरियाई नागरिक फिलिप को गिरफ्तार किया, जिसे तमिलनाडु में मेथमफेटामाइन की तस्करी करने और उसे छोटी मात्रा में वितरित करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड माना जाता है। अरुम्बाक्कम पुलिस ने मामले के सिलसिले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। मणिपुर में 50,000 रुपए से 1,00,000 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच कीमत वाली यह दवा चेन्नई में 7 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक बिकती है। श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी कीमत कई करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है।
तस्करी का मुख्य मार्ग म्यांमार
एनसीबी सूत्रों के अनुसार, तस्करी का मुख्य मार्ग म्यांमार है जहां से भारत-म्यांमार सीमा पार कर मणिपुर में मेथमफेटामाइन ले जाना है। वहां से इसे मानव कूरियर द्वारा ट्रेनों में तमिलनाडु ले जाया जाता है, जहां इसे वाहनों में छिपाया जाता है और रामेश्वरम, तुत्तुकुडी और नागपट्टिनम जैसे तटीय शहरों में ले जाया जाता है। एनसीबी सूत्रों ने बताया कि तट पर पहुंचने के बाद ड्रग्स को स्थानीय मछली पकडऩे वाली नावों पर लोड किया जाता है और तमिलनाडु की छिद्रपूर्ण समुद्री सीमा के माध्यम से श्रीलंका में बीच समुद्र में स्थानांतरित किया जाता है। जांच में भारत-म्यांमार सीमा के पास मणिपुर के एक शहर मोरेह की पहचान एक महत्वपूर्ण पारगमन केंद्र के रूप में की गई है। मोरेह में तमिल समुदाय के चेन्नई के रेडहिल्स क्षेत्र से संबंध होने का संदेह है, जो ड्रग सिंडिकेट की पहुंच को और उजागर करता है।