स्वयं को कमज़ोर या हीन समझते हो? || आचार्य प्रशांत, गीता दीपोत्सव (2024)

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वीडियो जानकारी: 30.10.24, ग्रेटर नॉएडा

उनके लिए जो स्वयं को कमजोर या हीन समझते हैं || आचार्य प्रशांत, गीता दीपोत्सव (2024)

📋 Video Chapters:
0:00 - Intro
1:01 - हीन भावना और आत्म-स्वीकृति
4:43 - हीनता का स्वार्थ और ज़िद
5:46 - अहंकार और हीनता का संबंध
9:01 - स्वार्थ और मजबूरी का खेल
12:51 - स्वार्थ की पहचान और मुक्ति
16:01 - आत्मज्ञान और सही फैसले
17:28 - सत्र में अनुभव साझा करना
20:09 - अहम और मन
21:26 - दिल्ली को क्यों चुना
27:05 - सत्र का समापन और अनुभव साझा करना

विवरण:
आचार्य जी ने प्रश्नकर्ता की inferiority complex और weakness की अनुभूति को selfishness, stubbornness, और ego से जोड़ा। उन्होंने स्पष्ट किया कि inferiority का मूल कारण व्यक्ति की desire और self-interest है, जो उसे कमजोर दिखाकर sympathy बटोरने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि inferiority को त्यागने का अर्थ है selfishness और greed को छोड़ना। Mind और ego के संबंध में बताया कि mind की सामग्री से व्यक्ति के ego की गुणवत्ता जानी जा सकती है।

दिल्ली में काम शुरू करने के कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि resources और परिस्थितियों की सीमाओं के चलते वही उचित स्थान था। उन्होंने सामाजिक और political दबावों का ज़िक्र किया, जिनका सामना संस्था को करना पड़ता है। अंत में, उन्होंने कहा कि संस्था के expansion और चुनौतियों को देखते हुए स्थान परिवर्तन संभव है, क्योंकि वर्तमान स्थिति में काम करना लंबे समय तक संभव नहीं है।

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