कोयम्बत्तूर. वर्ष 1998 के कोयम्बत्तूर सीरियल बम धमाकों के मास्टरमाइंड एसए बाशा का मंगलवार को उम्र संबंधी बीमारियों से मौत हो गई। 84 वर्षीय बाशा प्रतिबंधित संगठन अल-उम्मा का संस्थापक-अध्यक्ष था और उन धमाकों के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा था, जिनमें 58 लोगों की जान चली गई थीए व 231 लोग घायल हुए थे। मंगलवार शाम को बाशा के अंतिम संस्कार के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए कोयम्बत्तूर में पुलिस की बड़ी तैनाती की गई थी। इस उद्देश्य के लिए लगभग 2,000 पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है।
भारी पुलिस बल तैनात
एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार शाम को बाशा के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे जुलूस के मद्देनजर शहर में पुलिस बल तैनात किया गया है। इंडियन नेशनल लीग पार्टी के नेता जे रहीम ने कहा, वह पैरोल पर था और पिछले कुछ समय से उसकी तबीयत ठीक नहीं थी। तबीयत बिगडऩे पर उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां सोमवार शाम को उसकी मौत हो गई।
आजीवन कारावास की सजा काट रहा था: बाशा और अल-उम्मा के 16 अन्य लोग 1998 के धमाकों के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। हाल ही मद्रास हाईकोर्ट ने उसे पैरोल दी थी। मई 1999 में क्राइम ब्रांच सीआईडी की विशेष जांच टीम ने बाशा के खिलाफ एक आरोपपत्र दायर किया, जिसमें उस पर आत्मघाती दस्ते का उपयोग कर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया।