चेन्नई. तमिलनाडु के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एमआरके पन्नीरसेल्वम ने खुलासा किया है कि फेंगल चक्रवाती तूफान और उसके बाद उत्तर-पूर्व मानसून की नियमित मूसलाधार बारिश के प्रकोप से राज्य में कुल 6,30,621 हेक्टेयर क्षेत्र में मुख्य कृषि फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलें भी क्षतिग्रस्त हो गई।
फेंगल तूफान दिसम्बर के प्रथम सप्ताह के दौरान तमिलनाडु तट से टकराया था और उसके प्रकोप से 2.86 लाख हेक्टेयर में मुख्य कृषि फसलों तथा 73,263 हेक्टेयर में बागवानी फसलों को भारी नुकसान हुआ था। इसके बाद उत्तर-पूर्व मानसून की सक्रियता से हुई जोरदार बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया और फसलें जलमग्न हो गईं। कई क्षेत्रों में बाढ़ भी आ गई। इस प्राकृतिक आपदा से 2,25,655 हेक्टेयर में मुख्य कृषि फसलें तथा 45,634 हेक्टेयर में बागवानी फसलें क्षति हो गई।
कृषि मंत्री के अनुसार फसलों को हुए इस नुकसान के साथ-साथ विल्लूपुरम जिले के विक्रवांडी तथा अरागंदनअल्लूर में स्थित नियमित मंडियों में रखा 2906 टन कृषि उत्पाद भी नष्ट हो गया। कृषि मंत्री ने अधिकारियों को 17 दिसम्बर तक प्रभावित इलाकों में क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वेक्षण- आंकलन पूरा करने का निर्देश दिया था और राज्य आपदा राहत कोष के तहत तत्काल किसानों को सहायता देने का प्रस्ताव भेजा गया है।
उड़द के दाम में तेजी के संकेत
तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुए नुकसान के कारण उड़द की कीमतों में तेजी आने लगी है। इसमें अच्छी तेजी-मजबूती की धारणा भी बन रही है। व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि म्यांमार में नई फसल की जोरदार आपूर्ति शुरू होने तक भारत में उड़द का भाव मजबूत रह सकता है। आंध्र प्रदेश में इस प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ पीले मोजैक वायरस से भी फसल को काफी नुकसान होने की सूचना मिल रही है। तमिलनाडु के विल्लूपुरम क्षेत्र में फसल बर्बाद हो गई है और आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में उड़द की फसल को काफी नुकसान होने की खबर मिल रही है। खरीफ सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर उड़द का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 32.60 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 30 लाख हेक्टेयर के करीब रह गया था। मध्य प्रदेश, आडिशा एवं राजस्थान में क्षेत्रफल घटा था जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश में बढ़ गया था।