चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नए आपराधिक कानूनों के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, "देश की नई 'न्याय संहिता' जितनी व्यापक है, उतनी ही व्यापक इसकी निर्माण प्रक्रिया भी है। इसमें अनेक प्रतिष्ठित संवैधानिक और कानूनी विशेषज्ञों के समर्पित प्रयास शामिल थे। गृह मंत्रालय ने जनवरी 2020 में सुझाव मांगे थे। देश के मुख्य न्यायाधीशों ने बहुमूल्य मार्गदर्शन और सुझाव दिए। सर्वोच्च न्यायालय, 16 उच्च न्यायालयों, न्यायिक अकादमियों, विभिन्न विधि संस्थानों, नागरिक समाज के सदस्यों और अन्य बुद्धिजीवियों ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्षों तक उन्होंने विचार-विमर्श किया, संवाद किया, अपने अनुभव साझा किए और आधुनिक संदर्भ में देश की आवश्यकताओं पर चर्चा की। आजादी के सात दशकों में न्याय व्यवस्था के सामने जो चुनौतियां आईं, उन पर गहन मंथन किया गया। हर कानून का व्यवहारिक पक्ष देखा गया, फ्यूचरिस्टिक पैरामीटर्स पर उसे कसा गया, तब भारतीय न्याय संहिता इस स्वरूप में हमारे सामने आई है। मैं इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का, माननीय न्यायाधीशों का, देश की सभी हाई कोर्ट का विशेषकर हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय का विशेष आभार व्यक्त करता हूं।
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