दिल्ली: वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर गठित की गई जेपीसी की बैठक में मुस्लिमों के पसमांदा समाज की ओर से विधेयक पर सहमति जताए जाने को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स (IMCR) के चेयरमैन मोहम्मद अदीब ने कहा कि मैं तो ये नहीं समझ पाया कि पसमांदा समाज है क्या, अगर आप उन लोगों को जो गोश्त का कारोबार करते हैं उनसे ज़्यादा रईस मुसलमान तो हिंदुस्तान में कोई है ही नहीं। जो लोग कपड़े का काम करते हैं उनसे ज़्यादा रईस कोई है नहीं। हिंदुस्तान में दो ही तरह के मुसलमान हैं, एक रईस एक गरीब। यह पसमांदा का लफ्ज कहां से आया इस्लाम में दीन में कहीं इसका मकसद ही नहीं है अब ये पसमांदा समाज ये कौन लोग हैं यह BJP के एजेंट हैं या बना के भेजे गए।
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