मंकी पॉक्स के बढ़ते खतरे को लेकर भारत पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। वहीं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने वायरस को लेकर एक प्रभावी दावा किया गया है। BHU माइक्रोबायोलॉजी डिपार्मेंट के डॉक्टर गोपाल नाथ ने बताया कि निश्चित ही इस वायरस ने दुनिया के कई देशों में अपना प्रभाव दिखाया है। वहीं उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसके ज्यादातर सिंपटम चिकन पॉक्स से मिलते जुलते हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि 80 के दशक में लगने वाला चिकन पॉक्स का टीका इस पर काफी कारगर होगा साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना की तुलना में यह ज्यादा खतरनाक नहीं है। कोरोना के वायरस में कहीं ज्यादा तेज़ी से फैलने की क्षमता थी।
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