चेन्नई. एक जुलाई से लागू हुए नए कानूनी धाराओं के बदलाव के विरोध में मद्रास हाईकोर्ट के सामने सोमवार को अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्यों से विरत रहकर नए कानूनों का विरोध किया। मद्रास हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन, मद्रास बार एसोसिएशन और मद्रास हाईकोर्ट वूमेन लॉयर्स एसोसिएशन ने अदालती कार्यवाही का बहिष्कार किया है। मद्रास हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष जी. मोहनकृष्णन ने कहा, पुराने कानून और इस कानून में कई अंतर हैं। बुनियादी अधिकार छीन लिए गए हैं। कई अपराधी कोर्ट में जमानत न दे पाने के कारण जेल में हैं। ऐसी स्थिति में 5 से 10 लाख तक का जुर्माना लगाया जाता है। भारत में अभी तक चार करोड़ मामले लंबित हैं। राज्य अधिवक्ता संघ ने पूछा है, उन मामलों को पूरा किए बिना यह कानून लाने की क्या जरूरत है? हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि नए आपराधिक कानूनों को लागू करने पर रोक लगाई जाए।
इन कानूनों के नाम भी बदल दिए गए हैं
अधिवक्ताओं का कहना है कि भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता एवं साक्ष्य अधिनियम के संशोधित कानूनों को मनमाने ढंग से लागू किया जाना गलत है। इन कानूनों ने कई वर्षों से अस्तित्व में रहे भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की जगह ली और तीन नए कानून बनाए। केंद्र सरकार ने अभी तक इन नए कानूनों को लागू करने की आवश्यकता के बारे में किसी को नहीं बताया है। इन नए कानूनों को बार एसोसिएशन सहित किसी से भी परामर्श किए बिना जल्दबाजी में लागू किया गया है। इन कानूनों के नाम भी बदल दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने संसद में इसकी आवश्यकता का उल्लेख नहीं किया।