किसानों का अनाज समर्थन मूल्य पर बिके, जिससे कि उनको लाभ हो। लोगों को भी अनाज सही दाम पर मिले। इसके लिए कृषि मंडियां खोली गई थी, लेकिन ये उद्देश्य पाली में तो पूरे नहीं हो रहे हैं। जिला मुख्यालय पर हाउसिंग बोर्ड िस्थत कृषि मंडी में किसानों का पगफेरा नहीं है। जिन व्यापारियाें ने मंडी परिसर में दुकानें लीज या किराए पर ले रखी है, वे यदा-कदा ही मंडी में आते हैं। उनका व्यापार बाजार से ही चलता है। हालात यह है कि मंडी में जिन जिंस व अनाज पर मंडी कर देना पड़ता है। वह व्यापारी जिंस को मंडी के बाहर बने गोदामों में रखते है। मंडी में नमक आदि ऐसी सामग्री रखते है। जिनका कर नहीं देना पड़े। उनको ऐसा करने से मंडी के अधिकारी भी नहीं रोक सकते हैं।