Mohini Ekadashi Vrat Katha | मोहिनी एकादशी व्रत कथा | Gyaras Katha | Ekadashi Vrat Katha #ekadashi

Mere Krishna 2024-05-19

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मोहिनी एकादशी व्रत कथा:
भद्रावती नामक सुंदर नगर में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसका नाम धनपाल था। वह स्वभाव से बहुत नेक था और खूब दानपुण्य करता था। उसके पांच बेटों में सबसे छोटे बेटे का नाम धृष्टबुद्धि था जो बुरे कर्मों में लिप्त रहता था और अपने पिता का धन लुटाता रहता था। एक दिन धनपाल ने उसकी बुरी आदतों से तंग आकर उसे घर से निकाल दिया। घर से निकाले जाने के बाद धृष्टबुद्धि  दिन-रात शोक में डूब कर इधर-उधर भटकने लगा। 

भटकते-भटकते एक दिन धृष्टबुद्धि महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा। महर्षि उस समय गंगा में स्नान करके आए थे। शोक के भार से पीड़ित धृष्टबुद्धि कौण्डिल्य ऋषि के पास गया और हाथ जोड़कर बोला, 'हे ऋषि ! मुझ पर दया करके कोई ऐसा उपाय बताएं जिसके पुण्य के प्रभाव से मैं अपने दुखों से मुक्त हो जाऊँ'। उसकी पीड़ा समझते हुए महर्षि कौण्डिल्य ने उसे मोहिनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी।

महर्षि कौण्डिल्य ने उसे बताया कि इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। धृष्टबुद्धि  ने ऋषि की बताई विधि के अनुसार व्रत किया। जिससे वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर श्री विष्णुधाम को चला गया।

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