Maa Chandraghanta Stotra | चन्द्रघण्टा स्तोत्र | तृतीय नवरात्र देवी चन्द्रघण्टा स्तोत्र

Mere Krishna 2024-04-10

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Maa Chandraghanta Stotra | चन्द्रघण्टा स्तोत्र | तृतीय नवरात्र देवी चन्द्रघण्टा स्तोत्र @Mere Krishna

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मॉं चन्द्रघण्टा देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। भगवान शिव से विवाह के बाद देवी महागौरी ने अपने माथे को आधे चंद्र से सजाना शुरू किया जिसके कारण देवी पार्वती को देवी चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि शुक्र ग्रह देवी चंद्रघंटा द्वारा शासित है।

देवी चंद्रघंटा बाघिन पर सवार हैं। वह अपने माथे पर अर्धगोलाकार चंद्रमा (चंद्र) पहनती है। उनके माथे पर अर्धचंद्र घंटी की तरह दिखता है इसी कारण से उन्हें चंद्रघण्टा के नाम से जाना जाता है। देवी चंद्रघंटा अपने चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल रखती हैं और पांचवें बाएं हाथ को वरद मुद्रा में रखती हैं। वह अपने चार दाहिने हाथों में कमल का फूल, तीर, धनुष और जप माला धारण करती है और पांचवें दाहिने हाथ को अभय मुद्रा में रखती है।

देवी पार्वती का यह रूप शांत और अपने भक्तों के कल्याण के लिए है। इस रूप में देवी चंद्रघंटा अपने सभी हथियारों के साथ युद्ध के लिए तैयार हैं। ऐसा माना जाता है कि उनके माथे पर चंद्रघंटी की आवाज उनके भक्तों से सभी प्रकार की बुरी आत्माओं को दूर कर देती है।

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