जो समझ गया, वो तर गया! (अध्यात्म के नियम) || आचार्य प्रशांत (2023)

Views 1

‍♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?
लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...

⚡ आचार्य प्रशांत से जुड़ी नियमित जानकारी चाहते हैं?
व्हाट्सएप चैनल से जुड़े: https://whatsapp.com/channel/0029Va6Z...

आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?
फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...

आचार्य प्रशांत के काम को गति देना चाहते हैं?
योगदान करें, कर्तव्य निभाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/contri...

आचार्य प्रशांत के साथ काम करना चाहते हैं?
संस्था में नियुक्ति के लिए आवेदन भेजें: https://acharyaprashant.org/hi/hiring...

➖➖➖➖➖➖

#acharyaprashant

वीडियो जानकारी: 16.12.23, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ अध्यात्म के नियम क्या हैं?
~ क्या महत्वपूर्ण है, किसके साथ हो रहा है या क्या हो रहा है?
~ जीवन से पहले क्या आता है?
~ जीवन के सूत्र कैसे समझें?
~ हमें दुख कब होता है?

कारण के लिए कार्य का होना आवश्यक है। भूतकाल में जिस कार्य की उत्पत्ति हो चुकी है
और जो कार्य अभी तक उत्पन्न नहीं हुआ है उन दोनों अवस्थाओं में कारण कारण नहीं रहेगा क्योंकि
उन कार्यों का अस्तित्व नहीं। उत्पन्न होता हुआ कार्य अस्तित्ववान् और अस्तित्व रहित होने के कारण
विरोध ग्रस्त हो जाएगा। अतः तीनों कालों में कारण का अस्तित्व उत्पन्न नहीं हो सकता।
~ शून्यता सप्तति - छंद क्र. 6

संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~

Share This Video


Download

  
Report form
RELATED VIDEOS