#acharyaprashant
वीडियो जानकारी: 09.01.24, गीता समागम, ऋषिकेश
प्रसंग:
~ ज़रूरत और लालच में क्या अन्तर है?
~ हमारी ज़रूरत कितनी होनी चाहिए?
~ अपनी ज़रूरतों को कम कैसे करें?
~ हमारी मूलभूत आवश्यकताएँ क्या हैं?
1. राम नाम कड़वा लगे, मीठा लागे दाम।
दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम।।
2. झूठे सुख को सुख कहे, मानत है मन मोद।
जगत चबैना काल का, कुछ मुख में कुछ गोद ।।
3. मोटी माया सब तजै, झीनी तजी न जाय।
पीर पैगंबर औलिया, झीनी सबको खाय।।
4. माया छोड़न सब कहे, माया छोड़ी न जाय।
छोड़न की जो बात करूँ, बहुत तमाचा खाय।।
5. माया तो ठगनी भई, ठगत फिरे सब देस।
जा ठग ने ठगनी ठगी, ता ठग को आदेश।।
6. काल काल सब कोई कहे, काल न जाने कोय।
जेति मन की कल्पना, काल कहावे सोय।।
संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~