#acharyaprashant
वीडियो जानकारी: 17.09.23, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
पचास पहचान नहीं होती
मन को शांति नहीं चाहिए ऐसा मुश्किल है
मन को शांति चाहिए
दिक्कत ये होती है कि अहम अपनी चाह को ही अपनी पात्रता बना लेता है
अहम वो जो भ्रम में रहता है
अहम ने अपने इर्द गिर्द संसार क्यों तैयार करा है?
अहम सच के संपर्क में आकर क्यों टूटता है?
मैं कहने का अर्थ होता है अपने मुक्त स्वतंत्र अस्तित्व की घोषणा करना
परतंत्रता का। एक लक्षण होता है स्वतंत्रता की प्यास। जो परतंत्र होगा उसके मन में कहीं न कहीं आजादी का भाव उठेगा
जहाँ जो है नहीं हम उसकी आस बांध लेते हैं शस्त्र मे अविद्या की परिभाषा, यही है अविद्या है
संगीत: मिलिंद दाते
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