क्या आपने कभी सोचा है कि एक जज को तंत्र विद्या (Tantrism) (Tantra Vidya) में इतना मजा आने लगेगा कि वो सबकुछ छोड़ देगा और तंत्र विद्या ना केवल सीखेगा. बल्कि उसमें पारंगत होकर उसपर कई किताबें तक लिख डालेगा. सुनकर यकीन तो नहीं होगा. लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत में कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में एक ऐसे ही जज (Judge) हुए जो तंत्र साधना, तंत्र विद्या के लिए सबकुछ छोड़ बैठे. जिसका उन्हें रिजल्ट भी मिला. वो ना केवल तंत्र विद्या में पारंगत हुए बल्कि उसपर किताबें भी लिख डालीं. ये घटना 1904 की है जब वो कलकत्ता हाईकोर्ट के जज (Calcutta High Court Judge) बनाए गए. कहते हैं इसके पीछे उनके साथ घटी एक घटना वजह बनी. चलिए जानते हैं इस बारे में सबकुछ
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~HT.99~ED.276~GR.123~PR.87~