सूरत. माताजी के दर्शन करने के लिए अठवालाइन्स अंबाजी मंदिर गई थी। लखन, करण और अंजलि तीनों में मेरे साथ थे। मेरा डुमस जाने का कोई इरादा नहीं था। यह कहते हुए लखन की दादी सविता देवीपूजक की आंखों से छलक आए। उन्होंने पत्रिका को आपबीती सुनाते हुए कहा कि शुक्रवार को भादरवीं पून