Freedom Fighters: मंगल पांडे, (Mangal Pandey) भगत सिंह, (Bhagat Singh) चंद्रशेखर आजाद, (Chandrashekhar Azad) राजगुरु (Rajguru) और सुखदेव. (Sukhdev) ये वो नाम हैं जिन्हें हम आजादी के दीवाने (lovers of freedom) कहते हैं. गुलाम भारत (slave India) को आजाद कराने के लिए उनमें इस कदर जज्बा भरा था कि ना तो आजादी की लड़ाई (freedom struggle) में कूदते वक्त उन्होंने अपनी उम्र देखी और ना ही भारत (India) लिए कुर्बानी देते वक्त. हालांकि आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले भारत के वीर सपूतों की फेहरिस्त काफी लंबी है. लेकिन इनमें ये खासियत थी कि ये सभी जवानी की दहलीज पर अभी कदम रख ही रहे थे कि जरुरत पड़ने पर इन सबने अपनी जान देश के लिए न्योछावर कर दी. मंगल पांडे जिन्हें आजादी की पहली लड़ाई 1857 के विद्रोह (Revolt of 1857) का नायक कहा जाता था. उन्होंने महज 30 साल की उम्र में शहादत दे दी थी. वहीं भगत सिंह तो महज 23 साल की उम्र में ही देश के लिए खुशी खुशी फांसी के फंदे पर झूल गए थे. ऐसे चंद्रशेखर आजाद 25, राजगुरु 23 और सुखदेव ने भी महज 23 साल की उम्र में शहादत दे दी थी. तो चलिए स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर जानते हैं इन सभी की वीर गाथा.
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