कांग्रेस ज्वाइन कर एक आइएएस ऑफिसर कैसे बन गया 'चीफ मिनिस्टर'
एक किस्साः मध्यप्रदेश के आइएएस अफसर का...। जो कलेक्टर का पद छोड़ बन गया मुख्यमंत्री...।
साल 1985 का वक्त था। इंदौर शहर के सबसे पॉश इलाके के रेसिडेंसी एरिया में कलेक्टर साहब बंगले में आराम कर रहे थे। तभी फोन की घंटी बजी और बंगले पर तैनात कर्मचारी दौड़ते हुए फोन तक पहुंचा। किसी ने कलेक्टर साहब के बारे में पूछा, तो कर्मचारी ने कह दिया- साहब सो रहे हैं। थोड़ी देर बाद फोन लगाइएगा। तभी सामने से आदेश दिया गया कि साहब को तुरंत उठाइए और हमारी बात कराइए। कर्मचारी को कुछ अटपटा-सा लगा और वो साहब को नहीं चाहकर भी उठा देता है। कलेक्टर साहब फोन तक पहुंचते हैं। दूसरी तरफ से एक शख्स कहता है - तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं...। राजनीति में आना है या कलेक्टरी ही करना है। थोड़ी देर में दिग्विजय सिंह जी आपके पास आ रहे हैं, उन्हें अपना फैसला बता देना। यह फोन प्रधानमंत्री कार्यालय से आया था। तब राजीव गांधी पीएम थे और उनके पीए वी जॉर्ज बात कर रहे थे।
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