एलियंस में चर्चा करने वाला सबसे आम देश अमेरिका को माना जाता है, जहां आम लोगों के बीच भी एलियंस की मौजूदगी को लेकर धारणा है। एलियंस या यूएफओ देखे जाने की सबसे ज्यादा घटनाएं भी वहीं से सामने आती हैं। हालांकि अमेरिकी सरकार और पेंटागन हमेशा से एलियंस की मौजूदगी को लेकर होने वाले दावे नकारता आया है। पिछले साल इस सिलसिले में अमेरिकी सांसदों की एक मीटिंग भी हुई थी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) भी यूएफओ देखे जाने से जुड़े मामलों की जांच कर रही है।
शो में स्टीवन ने बताया कि एलियंस हैं या नहीं, यह जानने के लिए उन्होंने भी जांच की थी। स्टीवन के मुताबिक एलियंस के साथ 500 से ज्यादा बार आमना-सामना होने की उन्हें जानकारी थी, जिसे अमेरिकी सरकार ने करीब 70 साल पहले दर्ज किया था। कई और एक्सपर्ट की तरह स्टीवन को भी यही लगता है कि अमेरिकी सरकार वाकई में कुछ छुपाती आई है, खासकर एलियंस की मौजूदगी को लेकर।
सन् 2009 में अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा ने हमारी आकाशगंगा के सर्वेक्षण के लिए केपलर मिशन-10 के नाम से एक परियोजना की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य था प्लेनेट हंटिंग यानी जीवनयोग्य ग्रहों का आखेट। यह अंतरिक्ष वेधशाला शक्तिशाली टेलीस्कोप से सज्जित है, जो पृथ्वी जैसे आकार और गुणों वाले ग्रहों की खोज कर रहा है। यह भी पता लगाने की कोशिशें हो रही हैं कि 400 अरब तारे और इतने ही ग्रहों वाली हमारी आकाशगंगा के कितने ग्रहों में जीवन संभव है? एक अध्ययन के अनुसार हमारी आकाशगंगा में 160 अरब ग्रह हैं, जहां एलियंस हो सकते हैं