यह संयोग है कि इस बार होलिका दहन और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक साथ है। दोनों ही दिनों का अपना महत्व है। ये खुशी का दिन भी है और गम का भी। होली तो वैसे भी गमी का त्योहार माना जाता है। लेकिन महिलाओं के लिए इस बार गम दबाकर खुशी मनाने का दिन होगा। हालांकि, महिलाएं वैसे भी इस तरह जीने की पारंगत होती ही हैं, इसलिए जिनको नशा और जायके की फिक्र है, वे बेफिक्र रहें, उनके लिए तो तैयारी में कोई कमी नहीं ही होगी।
ये मुमकिन है, कि ज्यादातर महिलाओं को इसका एहसास भी न हो कि होली के अलावा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। पता भी होगा तो इससे कोई मतलब नहीं होगा कि होली के त्योहार के पीछे की कहानी एक महिला के लिए कितनी दर्दनाक होगी।
चलिए, पहले उस कहानी पर थोड़ी सी नजर डाल लेते हैं। राजा हिरण्यकश्यप की बहन थी होलिका। उस दिन उसकी बरात आना थी। बरात लेकर ब्याहने आ रहे इलोजी होलिका को बहुत प्रेम करते थे। कहा ये जाता है कि उसी दिन हिरण्यकश्यप ने होलिका को अपने बेटे प्रहलाद को लेकर आग में बैठने को कहा, क्योंकि होलिका के पास ऐसी चुनरी थी, जिस पर आग का असर नहीं होता। होलिका ने मना किया, लेकिन बड़े भाई का आदेश नहीं टाल सकी। लेकिन हुआ ये कि प्रहलाद तो बच गया और होलिका जल गई।
इस कहानी में तर्क के नजरिए से बहुत से पेंच हैं। लेकिन, अभी हम होलिका की ही बात करेंगे। अंतरराष्ट्रीय दिवस है न, इसलिए। होलिका की खता क्या थी, जल गई, या जला दी गई। उसकी खता थी भी, तो क्या किसी के जिंदा जल जाने का जश्न मनाया जा सकता है?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के पीछे भी लंबा इतिहास है, भले ही आज इसे तरह-तरह से मनाया जाता हो। कोई राष्ट्रवादी तरीके से इस दिन का महत्व बताता है तो कोई क्लब सरीखे ढंग से।
It is a coincidence that this time Holika Dahan and International Women's Day coincide. Both the days have their own importance. It is a day of happiness as well as sorrow. Holi is anyway considered a festival of summer. But this time for women, it will be a day to suppress sorrow and celebrate. However, women are well versed in living like this anyway, so those who are worried about intoxication and taste, they should not worry, there will be no shortage of preparation for them.
It is possible that most women do not even realize that apart from Holi, there is International Women's Day. Even if it were to be known, it would not matter how painful the story behind the festival of Holi would be for a woman.
Let us first take a look at that story. Holika was the sister of King Hiranyakashipu. His wedding procession was to come that day. Eloji, who was coming to get married with a wedding procession, loved Holika very much. It is said that on the same day Hiranyakashyap asked Holika to sit in the fire with her son Prahlad, because Holika had such a chunri, which is not affected by fire. Holika refused, but could not avoid the elder brother's order. But what happened was that Prahlad was saved and Holika got burnt.
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