दुद्धी में पुश्तैनी जमीन छोड़कर कहां जाऊं... मुझे तो अब तक एक चवन्नी भी नहीं मिली। यह गांव भी छोड़ दूंगा तो रहने-खाने का इंतजाम कैसे होगा। हर अफसर से मिल चुके, सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला। जैसे-जैसे बांध बन रहा है, चिंता भी बढ़ रही है। मुआवजा नहीं मिला तो जल समाधि ले लेंगे, लेकिन यहां से नहीं जाएंगे। कोरची के रुपनारायण यह कहते हुए फफक पड़ते हैं...
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