क्या अयोध्या में गगनचुंबी राम मंदिर बनने की डेट BJP के सबसे बड़े लक्ष्य और 2024 में केंद्र की सत्ता में हैट्रिक लगाने की ख्वाहिश पूरी कर पाएगी...आस्था और राष्ट्रवाद जैसे भावनात्मक मुद्दे से BJP जातिगत गणित और समीकरण को साधने को कोशिश कर रही है...? यही नही २०२३ में आने वाले विधानसभा चुनाव को २०२४ के लोकसभा चुनाव से पहले एक सेमीफाइनल की तरह देखा जाता है...त्रिपुरा में जिस तरह शाह ने ये कहा कि 1 जनवरी 2024 को अयोध्या में गगनचुंबी राम मंदिर आपको तैयार मिलेगा...तो क्या इस तरह के बयान देकर वो उपलब्धि का बखान गा रहे हैं या भविष्य की राजनीति कर रहे हैं...पार्टी की पूरी उम्मीद उत्तर भारत में सियासी पूंजी को बचाए रखने और दक्षिण में विस्तार पर टिकी हुई है हालांकि बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक उसके पुराने सहयोगी छिटक चुके हैं..लेकिन अयोध्या का राम मंदिर ३ दशकों से चुनावी मंचों पर चर्चा का विषय बना हुआ है और इसे लेकर त्रिपुरा में जिक्र महज ‘उपलब्धियों’ का बखान है...या आगे की सियासी रणनीति का केंद्र बिंदु?
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