भोपाल गैस कांड के 38 साल बाद भी पीड़ित मुआवजे के आस में दम तोड़ने को मजबूर है, लेकिन अब तक उन्हें वाजिब मुआवजा नहीं मिला हैं। आज भी त्रासदी के जख्म जिंदा हैं। 38 साल पहले 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से निकली जहरीली गैस मिथाइल आइसोसायनाइड ने हजारों लोगों की जान ले ली थी और लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। घटना के चश्मदीद आज भी वह डरावनी रात को याद करके सहम जाते हैं। गैस कांड की पीड़िता बसंती बाई ने बताया कि वो रात मैं कभी नहीं भूल सकती। जो मेरी आंखो के सामने गिरा वो वापस नहीं उठा। ऐसा लग रहा था, जैसे कोई मौत का खेल खेल रहा है। जहां देखो चारों तरफ अफरा-तफरी और सफेद कपड़ों में लाशें नजर आ रही थी। अपने बच्चों को लेकर लोग इधर से उधर भाग रहे थे।