सावित्रीबाई फुले को अक्सर भारतीय नारीवाद की जननी कहा जाता है। वह न केवल भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं, बल्कि उन्होंने 1848 में लड़कियों के लिए भारत के पहले स्कूल की भी स्थापना की। देश में महिलाओं की स्थिति को बदलने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ, उन्होंने विधवाओं के लिए एक आश्रय खोला जहाँ वे शिक्षा भी प्राप्त कर सकती थीं।
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