आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला किसी मजबूत विपक्ष से हो न हो लेकिन अपनेआप से होने वाला है. यकीन मानिए ये मुकाबला किसी और से टकराने से ज्यादा कठिन और मशक्कत भरा होगा. क्योंकि, बीजेपी के अपने लोग ही अब सत्ता और संगठन की नाफरमानी पर अमादा दिखाई दे रहे हैं. जिसमें मंत्री सबसे आगे हैं. इस बात से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब सत्ता की कमान संभाल रहे मंत्री ही सुस्त हैं तो उनके इलाकों में जिला और ब्लॉक लेवल के कार्यकर्ताओं का क्या हाल होगा. जिसका साफ इशारा ये है कि पार्टी को जाति, क्षेत्र, अंचल और मुद्दों के आधार पर रणनीति बनाने से पहले अपने ही नेताओं की सुस्ती तोड़ने की योजना तैयार करनी पड़ेगी. अब हालात ये है कि खुद मुख्यमंत्री को बाकी काम छोड़ कर अपने मंत्रियों की मॉनटरिंग का जिम्मा संभालना पड़ रहा है.
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