अकाली नेता एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जसविंदर कौर सोहल ने कहा कि सिखों के साथ भेदभाव के उदाहरण का एक बहुत लंबा सिलसिला है। बलवंत सिंह राजोआना फांसी की सजा हुए करीब 28 साल हो गए, तब से वह जेल में मानसिक यातना झेल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ गुजरात में मुस्लिम महिला बिलकिस बानो के बलात्कार और उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या के आरोप में 11 दोषियों को सजा दी गई लेकिन उन्हें रिहा कर दिया गया । कुछ ऐसा ही राजीव गांधी के हत्यारों के साथ हुआ। गुरू नानक देव जी के 550वें प्रकाश पूरब की फांसी माफी और आठ सिख कैदियों की रिहाई की अधिसूचना के बाद भी मामला अभी भी वहीं है। सिख कैदियों की रिहाई नहीं हो रही।