Pain of Partition : वे नहीं होते तो उल्हास नगर में उल्लास न होता, अजमेर में अजमेर न होता

Patrika 2022-08-14

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भीलवाड़ा.

आजादी के जश्न के साथ ही देश के विभाजन की वेदना कितनी भयावह थी। यह जिन लोगों ने झेली वो ही जान सकते हैं। उस पार से इस पार लौटे मीरचंदानी परिवार के गुलाबचंद तब चार साल के थे। तब सिंध प्रांत से मारवाड़ जंक्शन होते अजमेर तक पहुंचने पर गुलाबचंद ने अपने बड़ों के साथ

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