कजरी तीज का व्रत 14 अगस्त को है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर हर वर्ष कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है. यह त्यौहार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार समेत हिंदी भाषी क्षेत्रों में प्रमुखता से मनाया जाता है. इनमें से कई इलाकों में कजरी तीज को बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए अहम पर्व है.कजरी तीज पर संध्या के समय नीमड़ी माता की पूजा के बाद चांद को अर्घ्य देने की परंपरा है.आईए जानते है चांद को अर्घ्य देने की विधि
Kajari Teej fast is on 14th August. According to the Hindu calendar, the festival of Kajari Teej is celebrated every year on the third day of Krishna Paksha of Bhadrapada month. This festival is celebrated prominently in Hindi speaking regions including Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Rajasthan and Bihar. In many of these areas, Kajari Teej is also known as Budhi Teej and Saturi Teej. Like Hariyali Teej, Hartalika Teej, Kajari Teej is also an important festival for married women. There is a tradition of offering Arghya to the moon after worshiping Neemdi Mata in the evening on Kajari Teej. Let us know the method of offering Arghya to the moon.
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