गुरु पूर्णिमा पर्व 13 जुलाई को है। हिंदू परंपराओं में यह दिन आध्यात्मिक गुरुओं की पूजा और सम्मान का विशेष दिन होता है। यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म भी हुआ था। इसलिए इसे गुरु पूर्णिमा कहते हैं। उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उन्हें वेदव्यास भी कहते हैं। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।कहा गया है कि गुरु से दीक्षा लिए बिना जप, पूजा वगैरह सब निष्फल जाता है। इसलिए गुरु दीक्षा के तहत गुरु अपने शिष्य को एक मंत्र और जीवन उपयोगी वाक्य देते हैं। जब आप उलझनों में फंसे हों, कोई फैसला न ले पा रहे हों तो गुरु ऐसे मुश्किल वक्त का सामना करने के लिए रास्ता दिखाते हैं। आईए जानते है अगर गुरु नहीं है तो इस दिन क्या करें ।
Guru Purnima festival is on 13th July. In Hindu traditions, this day is a special day of worship and respect for spiritual masters. This day was also the birth of Krishna Dvaipayana Vyasa, the author of Mahabharata. That's why it is called Guru Purnima. He also composed the four Vedas. For this reason he is also called Vedavyasa. He is called Adiguru and Guru Purnima is also known as Vyas Purnima in his honor. Therefore under Guru Diksha, the Guru gives a mantra and life useful sentences to his disciple. When you are stuck in confusion, unable to take any decision, then Guru shows the way to face such difficult times. Let us know if there is no Guru then what to do on this day.
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