Jagannath Rath Yatra पिछले 2 साल से उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ यात्रा निकाली तो जा रही थी, लेकिन कोरोना की वजह से उतने धूमधाम से रथ यात्रा का उत्सव नहीं मनाया जा रहा था। मगर इस साल माना जा रहा है कि जगन्नाथ यात्रा पूरे जोरशोर से और पारंपरिक तौर-तरीकों से निकाले जाने की तैयारी है। हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। इस साल रथ यात्रा का आरंभ 1 जुलाई से हो रहा है। पुरी में जगन्नाथ मंदिर से 3 सजेधजे रथ रवाना होते हैं। इनमें सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे जगन्नाथजी का रथ होता है। रथ यात्रा का आरंभ 1 जुलाई से और समापन 12 जुलाई को होगा।यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ एक मुस्लिम भक्त सालबेग की मजार पर कुछ देर के लिए जरूर रुकता है। पुराने किस्से कहानियों में बताया गया है कि एक बार जगन्नाथजी का यह मुस्लिम भक्त सालबेग अपने भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर नहीं पहुंच सका था। फिर उसके मरने के बाद जब उसकी मजार बनी जो जगन्नाथजी का रथ खुदबखुद उसकी मजार पर रुक गया और कुछ देर के लिए आगे नहीं बढ़ पाया। फिर उस मुस्लिम सालबेग की आत्मा के लिए शांति प्रार्थना की गई तो उसके बाद रथ आगे बढ़ पाया। तब से हर साल रथयात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाली सालबेग की मजार पर जगन्नाथजी का रथ जरूर रुकता है।
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