सोलन में राज्य स्तरीय शूलिनी मेले के दूसरे दिन ठोडा नृत्य खेल शुरू हुआ। शिमला, सोलन व सिरमौर से चार टीमों ने इस खेल में भाग लिया। इसे देखने के लिए भारी संख्या में लोग उमड़े। विशेष लिबास पहने ठोडा के खिलाड़ियों ने न सिर्फ विरोधी आक्रमण को झेला बल्कि धनुष और वाण से उसका जवाब भी दिया। ठोडा नृत्य के इस युद्ध में थककर बाहर होने वाले को हारा हुआ माना गया। खेल की शुरूआत से पहले सभी खिलाड़ियों ने मैदान में नाटी प्रस्तुत कर दर्शकों को खूब मनोरंजन किया। यह खेल सतयुग से खेला जा रहा है। पहले यह युद्ध शैली थी जो अब खेल का रूप ले चुका है। इस खेल में प्रयोग किए जाने वाले तीर विशेष चांव की लकड़ी से बनते हैं। इसमें हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों के पास तीर कमान, ढांगरू, सिलारा, डागरा और चमड़े का जूता पहना जाता है। खेल में पैर में पर तीर मारने पर फाउल माना जाता है। इस दौरान मैदान में खिलाड़ियों में ठोडा खेलने के लिए काफी उत्साह रहा। पूरा दिन ठोडा खेल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा।