शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे मातोश्री में बैठकर दशकों तक महाराष्ट्र की राजनीति को अपने मुताबिक चलाते थे। बाल ठाकरे की विरासत पर चलने वाले उद्धव ठाकरे ने मातोश्री की जगह वर्षा को चुना। यानी सीएम की कुर्सी पर बैठकर महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना को जगह दिलाने की कोशिश की। लेकिन ढाई साल में ऐसी हालत आ गई कि ना सिर्फ सीएम की कुर्सी बल्कि शिवसेना के अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है।